एकलव्य (प्यार कोई खिलौना नही) अध्याय 1
लखनऊ शहर की जज़्बात बड़े निराले हें जनाब, ये जिस राज्य में बसता है।
वो है उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश जो है,
उनको तो आप जानते ही हो भारत देश की धड़कन है जनाब।
लखनऊ में एक यूनिवर्सिटी है, जो आई. टी चौराहे के पास हैं ,
लखनऊ विश्वविद्यालय..!
इसी विश्वविद्यालय में एक ग्रुप था जिसमें पांच दोस्त थे...
1 वीर
2 समीर
3 निशा
4 मेघा
5 सनी
ये ग्रुप हसी मज़ाक यारी के नाम से मशहूर था लेकिन इसी ग्रुप में जोड़े (couple) भी थे,
समीर और मेघा दोनो ही एक दूसरे को प्यार करते थे, ये बात इस ग्रुप के सभी लोगों को पता थी।
इसी आई. टी. चौराहे के पास, एक चाय कॉफी की छोटी सी दुकान थी।
जहाँ पे ये बच्चे आते थे लन्च के समय में।
एक दिन की बात है ,
जब वो लोग चाय की दुकान पे थे, तो सनी समीर को बोलता है।
सनी- समीर आज तो तू शाम को किसी को लेने जाने वाला था क्या हुआ?
समीर- हा सनी यार, वो मेरे पापा के दोस्त रहते है ऑस्ट्रेलिया में तो उनका बेटा आ रहा है।
हालांकी बचपन मे हम दोनों एक ही क्लास में थे, किसी कारण से वो लोग बाहर शिफ्ट हो गए,
लेकिन उनके बेटे को भारत देश से कुछ ज्यादा ही लगाव है।
तो वो यहीं शिफ्ट हो रहा है, और वो अब अपने ग्रुप का मेम्बर है।
मेघा- उसका नाम क्या है?
समीर- करण है।
शाम के 7 बजे तक करण आजाते है,
समीर के पिता जी पुणे में आर्मी में मेजर है, उनका नाम अभय शेखावत होते है।
और उनकी माता का नाम सुरुची देवी होती है।
अगली सुबह समीर की माँ रसोई मे नाश्ता बना रही थी, और वो दोनों कॉलेज के लिए तैयार हो रहे थे।
रसोई से आवाज आती है, की कारण और समीर बेटा नाश्ता कर लो
समीर - जी मम्मी आया।
करण - हा आंटी जी आता हूँ।
वो दोनों नाश्ता कर के बाईक से कौलेज निकल जाते है, बीच मे मेघा फोन करती है समीर को, तो समीर करण को बोलता है।
समीर - करण यार मेरे दाईं जेब मे फोन है, देखना किनका फोन है।
करण फोन देख के बोलते है।
करण - किसी मेघा का है ।
समीर - ओह शीट!
यार आज तो इस महान महोतरमा जी का जन्मदिन है और गिफ्ट भी नहीं लिया हूँ।
करण - यार तो ले - ले न वैसे ये मोहोतरमा जी कौन है।
समीर - बस दोस्त है, क्लासमेट है, छोड़ न इतना सिरियस मत ले।
समीर बाईक को अमीनाबाद की तरफ, एक गिफ्ट शॉप पे ले जाता है, और गिफ्टशॉप पर एक एक प्यारा सा गिफ्ट ले लेता है।
वहाँ से गिफ्ट लेने के बाद वो दोनों जब निकलते हैं, तो करण कहता है।
करण - रूक समीर 2 मिनट मै भी आता हूँ, तो वो भी एक मस्त से प्यारा गिफ्ट ले लेता है चल अब।
समीर - ठीक है।
वो दोनों कॉलेज आजाते है, फिर समीर परिचय करवाते है,
और जब मेघा से परीचय होता है, तो करण का दिल मेघा पे फिसल जाता है।
कुछ भी समझ नहीं आता है, और वो कही अलग दुनिया मे खो जाता है।
निशा करण के आँख के पास, चुटकी बजाती है और बोलती है।
निशा - ओह हेलो कहा हो, कौनसी दुनिया मे।
करण - ओह माफी चाहता हू जन्मदिन मुबारक हो मेघा ।
मेघा - ओह धन्यवाद!
समीर करण को खुन्नस वाली नजर से देखता है क्योंकि करण मेघा को बिफरने का मौका देदेती है समीर पे।
मेघा - समीर मेरा गिफ्ट?
समीर कनफ्यूज हो जाता है, और वो कुछ बोल नहीं पाता ।
मेघा नाराज हो जाती है, करण मनाने की कोशिश करता है, लेकिन थक हार के छोड़ देता है ।
लंच के समय समीर और उनके दोस्त कैंटीन मे एक सरप्राइज़ पार्टी करते है, तो समीर निशा से बोलते है की।
समीर - निशा यार वो तानाशाह फोन नहीं उठा रही है फोन करो उसको।
वीर पीछे की तरफ इशारा करता है, लेकिन समीर नहीं समझ पाता है।
वीर - ओय समीर पीछे देख पिटेगा अब फिर से।
समीर पीछे देखता है पीछे मेघा होती है।
मेघा - मै तानाशाह हूँ?
फिर दोनों मे तकरार हो जाती है।
समीर गिफ्ट बाहर निकाल के बोलता है ये लो गिफ्ट।
मेघा खुश हो जाती है, और गले लग जाती है, करण कुछ समझ नहीं पाता है और उनमे जलन होने लगती है।
लेकिन वो सोचता है की छोड़ न मै तो आज ही आया हूँ, और कहा इन दोनों के बीच पड़ रहाँ हूँ।
कुछ समय के बाद करण उस ग्रुप का अच्छा मेम्बर हो जाता है, और मेघा से एक तरफा प्यार करता है, मगर उसे पता नहीं होता है की मेघा समीर से प्यार करते है समीर भी मेघा से ।
और करण हॉस्टल मे शिफ्ट हो चुका होता है, और वो सोच रहा था की कैसे मेघा को प्रपोज करें।
"मेरे दोस्त उपवन के फूलों की भी अजीब कहानी है,
उनको प्रेम से सींचते है माली।
जब उसी उपवन के फूलों पे नजर पड़ती है,
किसी और की तो क्या कसूर है उस मोहोब्बत की।"
और मेघा तो सिर्फ करण को एक अच्छा दोस्त ही समझती थी, करण के मन मे आता है की शायद दोस्त लोग मेरी मदद करें तो वो निशा, सनी और वीर को फोन करके उन्हे चाय वाले दुकान पे बुला लेते है।
वो सब आ जाते है, हा बोलो क्या हुआ करण
करण - यार तुम लोगों से काम था मुझे प्लीज़ मदद करोगे न
दोस्त - हा बोल न
करण - वादा करो
दोस्त - ठीक है
करण - वो मे मेघा से प्यार करता हूँ बहुत!
सब अचंभित हो जाते है,
निशा - क्या ये समीर को पता है?
करण - नही यार।
वीर - भाई मेघा और समीर एक दूसरे से प्यार करते है पहले से ही।
करण - क्या?
वीर - हा इसलिए ये भूल जा ।
करण - लेकिन मै!
वीर - मै क्या?
करण - मै भी तो करता हूँ।
सनी - देखो तुम होश मे नहीं हो।
करण गुस्से मे बोलता है-
करण - देख तुमलोगों को मदद करनी है तो बोल नहीं तो मै और कोई तरीका ढूंढ लूँगा।
निशा - तुम पागल तो नहीं हो तुम्हे समझ में भी आ रहा है, की तुम क्या बोल रहे हो, रुको मै उन दोनों को फोन करती हूँ।
करण निशा का फोन तोड़ देता है, और वहाँ पे लड़ाई का माहोल बन जाता है जनता उन सब को देख रहे होते है।
सनी - निशा चल अभी यहाँ से, ये आज पिया है, फालतू मे बखेड़ा हो जाएगा।
वो लोग वहाँ से चले जाते है, करण सोचता है की यार आज तक मैने पापा से जो भी चीज मांगा कभी मना नहीं क्या, फिर ये मै कैसे छोड़ दूँ !
एक काम करता हूँ, ये सही रहेगा इन सब को तोड़ के अपना प्यार हांसील कर लेता हूँ।
वो लोग सोच मे पड़ जाते है की क्या करें, अगर समीर को बताया तो इन दोनो मे अनबन हो जाएगा, और आंटी जी को बहुत तकलीफ होगी, और अगर नहीं बताया तो फिर इन दोनों पे आफत आ जाएगी।
वीर - वो कुछ सोचते है और बोलते है की यार छोड़ न, करण पिया विया होगा इसलिए बहेंकी - बहेंकी बात बोल रहा था।
अगले दिन करण का माफी वाला एक मैसेज आता है, और सब लोग भूल जाते है जो भी हुआ था।
अब करण एक शातिर योजना बना लेता है की कैसे इन सब को तोड़ेंगे।
उसी वक्त निशा का मैसेज आता है, की हम सब एक ट्रिप सोच रहे है, तो सब लोगों को चलना है कोई मना नही करेगा।
तो निशा के पास अच्छा ठीक है का मैसेज आ जता है, लेकिन समीर पूछता है क्यों?
निशा फोन करती है।
समीर - ये सब क्या है?
निशा - वो बहुत दिन से घूमने के लिए नही गए है, तो इसलिए
समीर - मगर
निशा- मगर क्या मगर कुछ नही चल रहे हो और हाँ करण और मेघा को भी बोल देना।
समीर - ठीक है।
अगले दिन वो सब गोवा ट्रिप पे निकल जाते है, सब कुछ अच्छा चल रहा होता है,
शाम को होटल के क्लब मे पार्टी होती है, जिसमे वो लोग भी होते है, करण को मौका मिल जाता है, वो मेघा के पास आते है और कहते है की मुझे आपसे कुछ बात करनी है, अगर आपको दिक्कत ना हो तो ।
मेघा - यार पहले तो तुम मुझे आप मत बोलो।
कारण - ठीक है।
मेघा - हॉं बोलो ।
करण - मै तुमसे प्यार करने लगा हूँ ।
मेघा - हस्ते हुए बोलती है देखो तुम मजे ले रहे हो समीर ने बोला है क्या?
करण - वो क्यूँ बोलेगा मै सही मे करता हूँ।
मेघा - तुम पागल तो नहीं हो, क्यों ट्रिप को खराब कर रहे हो।
करण - जोर से बोलता है, की मै तुमसे प्यार करता हूँ समझ मे
नहीं आता है क्या!
क्लब मे सब लोग सन्न हो जाते है, समीर तो कुछ सोच भी नहीं पाता।
ये सब क्या हो रहा है और समीर के दोस्त लोग भी आश्चर्य मे हो जाते है, की आखिर क्या हो रहा इसको बोला था लेकिन ट्रिप के वक्त तमाशा खड़ा कर दिया।
मेघा कस के खिच के चाँटा मारती है, कहती है तुम्हें शर्म नहीं आती है। तुम जान रहे हो क्या बोल रहे हो, समीर वहा पे आ जाता है और कहता है की देख करण तमाशा हो गया बहुत माफी मांग!
और निकल यहाँ से मै तुमसे बाद मे बात करता हूँ, तो करण समीर को धक्का देता है और दोनों मे मार-पीट हो जाता है।
होटल के मैनेजर पोलिस को फोन कर देते है, और पोलिस आ जाती है।
गोवा के कमिश्नर होते है जय प्रताप वो आने के बाद बोलते है।
जय प्रताप - क्या हुआ मैनेजर?
मैनेजर - इन लोगों ने यहाँ पे लड़ाई किया और क्लब मे तोड़ फोड़ मचाया।
जय प्रताप - चेहेरे से लगता है की ये प्यार का मामला है, लगता है की रहिसज़ादे है ये सब।
सनी आता है बोलता है-
सनी - सर ये मामला क्लोज़ कर दीजिये यहीं पे जो भी चाहिए बोलिए
जय प्रताप - अरे ये तो हमे रिश्वत दे रहा है, तेरी इतनी हिम्मत तुम मुझे रिश्वत देने की कोशिश कर रहे हो, जानते हो कौन हूँ मै!
कॉन्स्टेबल इन सब को अरेस्ट करो, और तोड़ - फोड़ का बिल बनाओ।
फिर क्या था सब को अरेस्ट कर के थाने मे ले जाते है, ये बात मेजर अभय शेखावत को पता चलती है।
और वो महाराष्ट्र के DGP को फोन करके बोलते है, की उन सब को छोड़ दे उसमे से एक मेरा बेटा है।
DGP सर!
फिर क्या रात के तीन बजे उन सब को छोड़ देते है, मेजर अभय फोन करते है समीर को कहते है तुम्हें अकल नहीं है।
अपने दोस्तों से ही लड़ते हो तुम लोगों मे जो भी मैटर है, उसको खत्म करो और आर्मी वेन तुम सब को गोवा एअरपोर्ट पे छोड़ेगी।
और वहाँ से तुम सब लखनऊ को चले जाओगे।
थोड़ी देर के बाद मैं थाने में आता वो भी आर्मी यूनिफ़ोर्म मे और मै वहाँ के थाना इंचार्ज से मिलता फिर जय प्रताप को फोन करता है
मै - हेलो प्रताप साहब मै शशांक बोल रहा हूँ, कैप्टन शशांक।
जयप्रताप - हा हा DGP साहब का फोन आया था, आता हूँ!
थोड़ी देर के बाद जय प्रताप आजाते है, और जो भी फोर्मेलिटी होती है वो सब पूरा कर देते है।
फिर मै उन सब को लेकर के चला जाता हूँ।
जब वो लोग घर पहुँचते है तो घर पे भी सबको डाँट पड़ती है, समीर कैसे भी कर के सारी बात अपनी मम्मी को बताते है।
मेघा को फोन करते है।
मेघा - हाँ आंटी जी।
समीर की मम्मी - बेटा जो भी हुआ है समीर ने बताया है, करण तो यहाँ पे औस्ट्रेलिया से मेरे भरोसे पे आए है।
और उनके पापा समीर के पापा काफी अच्छे दोस्त है, इस मामले को जल्द से जल्द ठीक करो और करण को समझाओ।
मेघा - जी आंटी जी।
फिर क्या समीर की मम्मी करण की मम्मी को फोन करती है, और उनको बताती है फिर क्या करण के पास फोन आता है डांट पड़ती है उनको।
समीर रात को गुस्से मे होता है, और वो खाना खाने मे आना कानी करता है तो उनकी माँ कहती है की-
मम्मी - बेटा इस खाना ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, और कोई भी दोस्ती विश्वास पे चलती है तुम क्यों खाने को दुधकार रहे हो।
समीर - मम्मी आप मुझे अकेला छोड़ दो, मुझे नहीं सुन्ना है आपका प्रवचन।
मम्मी - ठीक है तुम नही खाओगे तो मैं भी नही खाऊँगी।
समीर - ठीक है, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
तो समीर की माँ सोचती है की जब भूख लगेगा तो खा लेगा, और वो अपने बेडरूम में चली जाती है।
सोने को वो रात के 12:00 बजे आके देखती है की वो अभी भी ड्रॉइंग हॉल में दुखी बैठा है।
तो वो बेचैन हो जाती है, अभय को फोन करती है।
अभय बोलते है की एक काम करो निहारिका को फोन करो, वो ही संभालेगी इस आशिक को।
निहारिका समीर की बड़ी बहेन होती है, जो की दिल्ली में रहते है और वो एक मल्टीनेशनल कम्पनी में एक अच्छे पद पे काम करती है।
और समीर का एक छोटा भाई भी होता है, जो की गुजरात मे एक ऑटोमोबाइल कम्पनी में अच्छे पद पे काम करते है।
सुरुची - ठीक है।
और वो फोन रख देते है, फिर निहारिका को फोन मिलाकर के ये सारी हालात बताते है,
निहारिका - ठीक है मम्मी मैं बात करती हूँ, आप परेशान मत हो वैसे कहा है आपका ये आशिक़ बीटा?
मम्मी- कहाँ होगा है यहीं रूसा है साइकिल घड़ी रेडियो के लिए।
निहारिका - ठीक है मैं देखती हूँ इस लाडले को।
निहारिका समीर के फोन पे रिंग करती है और वो कुछ देर तक बजता है, फिर उठा लेता है।
समीर - हाँ बोलो दीदी।
निहारिका - क्या हुआ क्यों परेशान है तू?
समीर - कुछ नही हुआ।
निहारिका - सुनो समीर ये जिंदगी है ये सब होता रहता है, तुम खाना खा लो और मेघा से बात कर लो सब ठीक हो जाएगा।
समीर - ठीक है दीदी
और वो खाना खा लेता है, फिर पूरी रात मेघा से प्यार भरी बातें करता है, धीरे-धीरे सुबह पांच बज जाते है और वो सो जाता है।
उधर मेघा 8 बजे उठ के 9 बजे तक आ जाती है समीर के घर पे
मेघा - हेलो आंटी जी।
आंटी - हेलो बेटा।
मेघा - वो हीरो उठ गया।
आंटी - नही वो तो अभी तक सोया है।
मेघा - उसको मैं उठाती हूँ, आज का नाश्ता मैं बनाती हूँ।
आंटी - ठिक है।
वो किचन में नाश्ता बनाती है फिर वो उसके रूम में आती है जगाती है, और वो झट से खड़े हो जाता है फिर बोलता है की
समीर- तुम
मेघा - हा सुबह-सुबह दीदी का फोन आया और मैं आ गई चलो अब नाश्ता कर लो
वो दोनों मिल के नाश्ता करते है, ये देख कर समीर की मम्मी खुश हो जाती है, और वहां से चली जाती है।
समीर कहता है मेघा को-
समीर - ये सारी बात निशा को पता थी तभी उसने ये सब ट्रिप का प्लैन बनाया
मेघा - हो सकता है, एक काम करते है निशा से पूछते है।
समीर - नही इन सबमे सनी और वीर भी मिले है तभी तो उसने बोला मुझसे की तुम्हे और करण को बोले।
मेघा - एक काम करते है इन सब को फोन करते है सिर्फ करण को छोड़ के पूछते है की मामला क्या है।
समीर- आज नही कल।
मेघा - ठीक है।
अगले दिन वो सब एक साथ मिलते है, फिर निशा से समीर पूछते है-
समीर - ये सब तुम्हे पता था
निशा - नही
समीर - झूठ बोल रही हो तुम
निशा - नही
मेघा - क्या तुम्हें सच मे नही पता था ये सब की वो हमसे एकतरफा...
सनी - तुम फालतू सीरियस हो रही हो, मेघा करण पर भरोसा कर के ही गलत क्या है।
समीर - क्या मतलब! क्या छूपा रहे हो बोलो ?
वीर - देख यार बहुत हो गया बता देते है।
तब वो सारी बात बता देते है, वीर कहता है की ट्रिप को लेकर के कोई गलत इरादा नहीं था
समीर और मेघा दोनो मिल के ताली बजाते है, वहां भाई वहां क्या दोस्ती निभाई और वो दोनो मिल के दोस्ती तोड़ देते है।
वहाँ से वो लोग चले जाते है, जब कभी भी समीर और मेघा सनी वीर या निशा के सामने आते है तो उन्हे नजरअंदाज कर देते है।
एक खुन्नस भरी नज़र से देखने लगते है, मन मे गीले शिक़वे होने लगते है।
ये सब देख के करण दिल ही दिल मे बहुत खुश हो जाता है, और वो इन दोनों पे नजर रखने लगता है, मौका देखने के लिए तो करण को पता चलता है की 14 नवम्बर को समीर और मेघा पार्टी करने के चक्कर मे है रात को 10:00 बजे और करण किसी को फोन करते है।
करण - हेलो मै बोल रहा हूँ आपको मेरा एक काम करना है, पैसों की फिकर मत कीजिये।
फोन पे बंदा - काम क्या है?
करण - तीन लोगों के उठाना है 5 दिन के लिए ।
फोन पे बंदा - ठीक है।
अब करण भी क्लब पहुँच जाता है।
वाहा पे करण एक वेटर से मिलता है उन्हे कुछ पैसे और एक ड्रग्स का पैकेट देता है बोलता है की ये पैकेट वो जो लड़का है उनके ड्रिंक मे मिला देना वो वेटर वैसा ही करता है, और वो वेटर वो जुस समीर को पीला देता है।
अब समीर होश मे तो होता नहीं है, फिर करण आता है।
और समीर को उकसाने लगता है, उन्हे होश होता नहीं है फिर क्या लेकिन मेघा देख लेती है।
तो वो आती है तब-तक दोनो मे लड़ाई हो जाती है, और मैनेजर पोलिस को फोन कर देते है। मेघा उन दोनों को धक्का देकर करण को बोलते है की तुम हम दोनों के बीच मे मत आ क्यूँ परेशान कर रहा है?
करण - देख तू मेरी नहीं तो किसी की भी नहीं हो सकती।
फिर से दोनों मे लड़ाई हो जाती है तो मेघा को पता चलता है की समीर ने ड्रग्स लिया है तो इस चीज को लेकर के समीर और मेघा मे अन-बन हो जाती है और मेघा समीर को थप्पड़ मार देती है
समीर सन्न हो जाता है, पोलिस आ जाती है पोलिस को समीर के मूह से नशे की महेक आती है।
और आंखे लाल देखते है ऊपर से करन पोलिस को बयान देता है, की ये मुझसे नशे की हालत मे बदतमीजी करने की कोशश कर रहा था पूछिए चाहें आप इस वेटर से।
पुलिस समीर को पकड़ के ले जाते है, मेघा आती है जेल मे मिलने को और सारे रिश्ते तोड़ देती है।
फिर वो रो के चली जाती है, उनके बाद समीर की मम्मी आती है।
फिर वो पुछते है ये सब कैसे हुआ?
समीर अपनी मम्मी को सारी कहानी बताते है, तब - तक हवलदार आके बोलते है, की इनका केस वापस हो गया है अब इनको छोड़ रहे है।
और समीर अपनी मम्मी के साथ थाने के बाहर आते है, तो देखते है करण को और अब वो उस इंसान से बात करना पसंद नहीं करता है, लेकिन करण आवाज़ देता है ओय रोमियो ।
समीर आता है उनके पास करण बोलता है।
करण - समीर और मेरी प्यारी आंटी जी आज मुझे आप दोनों को कुछ दिखाना है।
समीर - चलिये मम्मी जितना इसको दिखाना था दिखा दिया और अब मुझे कुछ भी बात नहीं करनी है।
करण - अरे रुको-रुको! मेघा।
उनकी मम्मी मेघा को देख के समीर के साथ चौंक जाते है, वो कुछ बोलने वाली होती है तब-तक समीर अपनी माँ को रोक लेते है।
समीर - माँ रुको और करण के आँखों मे आंखे डाल के बोलते है की,
" देख मेरे प्यार मे गुरूर नहीं है एक सम्मान है,
इसीलिए आज मै तुझे एक बात बोलता हूँ।
तू सच्चे प्यार से डर चुका है,
तभी तेरे आँखों मे खौफ नजर आ रहा है।
एक जो मेरी आँखों मे तो बिलकुल भी नहीं है।।"
और रही बात इनकी तो मुझे ये सब देख के कूछ भी फर्क नहीं पड़ता है,
मेघा वैसे मुझे तुझ पे हसी और इनके ऊपर तरस आ रहा है।
और वो दोनो माँ और बेटा वहाँ से निकल रहे होते है उसी वक्त वो बोलते है की।
"प्यार मेरा प्यार कोई खेल नहीं है, जो कोई भी खेल जाए।
क्योंकि प्यार किया था तुमसे, लेकिन दोस्त आ गया बीच मे।
इसीलिए हार गया आज ये प्यार, अब ये आँसू गिरा के क्या मिलेगा मेघा।
जब दोस्त ही दगेबाज निकल जाए, दोस्ती के सामने तो प्यार हार ही जाया करते है।
ये बोल के मम्मी को बोलते है की मुझे अब यहाँ से कहीं दूर ले चलिये।
और वो दोनों वहाँ से चले जाते है, मेघा बोलती है अपने आँसू पोछ के।
मेघा - हो गया अब तू खुश हो गया जैसा तुमने कहा था, वैसा हो गया अब तो छोड़ दो मेरे दोस्तों को।
करण फोन करते है और बोलते है की छोड़ दो उन लोगों को और वो भी वहाँ से चली जाती है, सनी, निशा और वीर वो वहाँ जब समीर के घर आते है तो उनके घर मे ताला होता है मेघा को फोन करके बोलते है, वीर
वीर - मेघा समीर के घर पे ताला लगा है।
मेघा - वो दोनों यहाँ से दो घंटे पहले ही निकल गए है।
तो पड़ोस मे पुछते है तो पता चलता है की वो लोग शहर छोड़ चुके है, वो सब परेशान हो जाते है समीर को फोन भी करते है उनका फोन बंद आता है।
दोस्तों वैसे प्यार खूबसूरत लफ्ज के साथ-साथ विश्वास का प्रतीक है,
मगर दोस्ती तो प्यार से भी बहुत कुछ है।
ये दोनों ही अपनी - अपनी जगह पे सही है लेकिन यहीं दोनों आपस मे टकरा जाए तो रिश्ते खराब हो जाते है।
समीर और उनके दोस्त लोग तो करण को अपना अच्छा दोस्त मानते थे, लेकीन करण के एकतरफा प्यार ने अच्छे- खासे दोस्ती मे जहर घोल दिया और दोस्ती के आगे प्यार झूक गया जबर्दस्ती!
आखिर ऐसा क्या था जो ये लोग बताने वाले थे, समीर को समीर और उनकी मम्मी गए कहा।
इन सब का जवाब मिलेगा अगले अध्याय मे आखिर कहाँ गए समीर?
*शशांक शेखर*
*8299640275*
अगले अध्याय का इंतज़ार कीजिये॥
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